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प्रश्न (९)

प्रश्न (९) : मंत्र किसे कहते है ?

प.पू. महर्षि पुनिताचारीजी महाराज:

शाब्दिक रूप से देखा जाए, तो मंत्र एक विधि या वस्तु है। जिसके द्वारा मन की रक्षा होती है। मन में प्रत्येक क्षण विचारों का प्रवाह चालु रहता है। वे विचार आवश्यक हो या अनावश्यक , क्रमबद्ध हो या अस्त व्यस्त, लेकिन धाराप्रवाह चालु रहता है। इन विचारों से मन को राहत देनेवाली विधि को " मंत्र " कहते है। व्यवहार में मंत्र वाक्य या वाक्य का एक भाग है । धीरे - धीरे, पर सतत जप करते रहने से मन को शांति मिलती है । धीरे - धीरे, पर सतत जप करने से प्रारंभ में विचारधारा से मन की रक्षा होती है; और फिर विचारों में परिवर्तन आता है। यदि मंत्र योग्य गुरु द्वारा दिया गया हो, और गुरु और मंत्र में पूरी श्रद्धा और विश्वास रखकर शिष्य उसका जप करे तो लक्ष्यसिद्बि की प्राप्ति में कोई विघ्न नहीं आता है। किसी देवी या देवता को समर्पित किए हुए मंत्र का जाप करने से मन पवित्र और शुद्ध होता है, और सभी प्राणियों के प्रति दया और भाईचारे की भावना जाग्रत होती है।


~प.पू. महर्षि पुनिताचारीजी महाराज,
गिरनार साधना आश्रम, जूनागढ़

॥ हरि ॐ तत्सत् जय गुरुदत्त ॥
(प.पू. पुनिताचारीजी महाराज की ४५ साल की कठोर तपस्या के फल स्वरुप उन्हें भगवान दत्तात्रेय से साधको के आध्यात्मिक उथ्थान और मानसिक शांति के लिए प्राप्त महामंत्र)



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