प्रश्न (५)
प्रश्न (५) : जब तक योग्य गुरु नहीं मिल जाते तब तक क्या करना चाहिए ?
प.पू. महर्षि पुनिताचारीजी महाराज:
सिद्ध समर्थ गुरु मिलने तक आचार्य, बुजुर्ग महापुरुष, माता-पिता आदि से कोई भी इष्ट मन्त्र लेकर जप-तप-साधना करके सद्गुरु प्राप्ति की कामना करनी चाहिए। इस प्रकार भीतर की जिज्ञासा प्रबल होते ही समर्थ गुरु सामने से आकर मिलते हैं। कभी-कभी कुछ योगभ्रष्ट साधक सूक्ष्मगुरु तक पहुँच पाते हैं। गुरु सूक्ष्म से, ध्यान से या स्वप्न में दीक्षा देकर साधक को लक्ष्य की ओर ले जाते हैं। वह सूक्ष्म गुरु की मौन वाणी, गुढ़ वाणी को शिष्य न समझे तो योग्य स्थूल शरीर धारण करने वाले गुरु के पास शिष्य को भेज कर उसका कल्याण करते हैं। उदाहरण तो बहुत हैं लेकिन यहाँ एक उदाहरण ही काफी होगा। काकभुशुण्डिजी को उनके गुरु ने प्रेरित किया और लोमश ऋषि के पास भेजा जिन्होंने उन्हें अपार शक्ति देकर अमर बना दिया। शिष्य अगर दूर भी हो तो भी स्थूल गुरु अपनी इच्छाशक्ति से उसे आशीर्वाद देकर आत्मज्ञानी बना कर शक्ति प्रदान करते हैं। सिद्ध समर्थ गुरु जब तक सत् शिष्य मुक्त ना हो तब तक सत् शिष्य के पीछे अपनी तमाम शक्तियों को खर्च करते हैं। यही गुरु की महत्ता है।
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MahaMantra Drashta P.P. Maharshi Punitachariji Maharaj
Hari Om Tatsat Jai Guru Datta
Mantra for mental peace