प्रश्र (१८)
प्रश्र (१८) : "हरि ૐ तत्सत् जय गुरुदत्त" मंत्र की धून करने से शरीर में , घर में या किसी भी स्थान पर रहनेवाले भूत - प्रेत - जिन आदि आश्रित तत्त्व भाग जाते हैं , क्या यह सच है ? और इस मंत्र से मुठचोट और नजरदोष मिट जाते है । तो इसके लिए विधिवत् स्पष्टता करने के लिए बिनती है।
प.पू. महर्षि पुनिताचारीजी महाराज:
सिद्धो, संतो, देवो और सद्गुरु की ओर से सुसंस्कृत होकर, शक्तिशाली और विश्व कल्याणार्थ आए हुए इस मंत्र में कितनी विद्युत शक्ति है, यह कहना बहुत मुश्किल है । लेकिन एक बात तो हम देखकर, जानकर और अनुभव पर से कहे तो उच्च कोटि के देव, सिद्ध और मनुष्य ही इस मंत्र का जप कर सकते है । बाकी तो कुछ कक्षा के सिद्ध या देवयोनि में प्रवेश किए हुए कुछ कक्षा के जीवात्मा या भूत-प्रेत , ब्रह्मराक्षस, जिन्न, खविस आदि न तो इस मंत्र का जप कर सकते हैं और न ही इस मंत्र की धुन सुनने की क्षमता रखते है । उदाहरण के लिए, यदि किसी को भूत, ब्रह्मराक्षस आदि ने पकड़ा हो और उनके समक्ष यह धुन बोली जाए तो वे सहन नहीं कर सकते और जोर-जोर से चिल्लाने लगते हैं कि - मैं जल रहा हूँ, मर रहा हूँ, और जा रहा हूँ । इस पर से यह सिद्ध होता है कि, किसी के शरीर में, घर में या किसी जगह पर कोई विघ्नकारी तत्त्व हो और वहां पर नित्य इस "हरि ૐ तत्सत् जय गुरुदत्त" मंत्र की धुन एकाद घंटे तक की जाए तो सभी आसुरी तत्त्व भाग जाएंगे, इसमें कोई शंका नहीं है।
मुठ-चोट, जादू-टोने में जो मानते है वे अगर इस मंत्र को बोलकर, किसी के सर के उपर से कोई भी खाने की चीज तीन बार उतारकर कुत्ते को डाल दे और पांच-दश मिनिट यह मंत्र बोल कर उस व्यक्ति को झाड़ दें तो जादू, मंत्र, टोना दूर हो जाते है ।
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Mukti
MahaMantra Drashta P.P. Maharshi Punitachariji Maharaj
Hari Om Tatsat Jai Guru Datta
Mantra for mental peace