प्रश्र (१४)
प्रश्र (१४) : "हरि ૐ तत्सत् जय गुरुदत्त" मंत्र जप के अनुष्ठान की सर्वांग विधि क्या है ?
प.पू. महर्षि पुनिताचारीजी महाराज:
इस मंत्र के जप की विधि बहुत ही सरल, फिर भी अत्यंत प्रभावशाली है । जो इस प्रकार है - आप सुबह या शाम को नित्य कर्म निपटा कर गायत्री - संध्याविधि जो करते है वह करके अपने इष्ट मंत्र या गुरु मंत्र का जाप-पठन करके "हरि ॐ तत्सत् जय गुरुदत्त" मंत्र से पहले "ૐ गं गणपतये नम :" की एक माला करें, फिर "हरि ॐ तत्सत् जय गुरुदत्त” की (५२) बावन माला करें । एक बैठक में यदि बावन माला न हो सकती हो तो, छब्बीस (२६) माला सुबह और छब्बीस (२६) माला शाम को करें । जप करने के बाद में हाथ में जल लेकर जिस कामना के लिए आप जप करते है, वह मन में बोलकर सद्गुरु की छवि या मूर्ति के सामने रखे हुए नारियल पर या तो, ऐसे ही जल छोड़कर बोले कि, "हे सद्गुरु ! यह जो मैंने मंत्र जप किये है उसका फल मै अमुक कार्य की सिद्धि के लिए आपके चरणों में अर्पण करता हूँ ।" यही इसकी विधि है । शक्ति और सामर्थ्य हो तो सद्गुरु के समक्ष धूप-दीप और कुछ भी प्रसाद रखें । जब तक जप चालु रहे तब तक दिया चालु रखना है । २४ घंटे दिया चालु रखने की जरूरत नहीं है । फिर भी अगर कोई रखता है, तो इसमें कुछ अनुचित भी नहीं है । सद्गुरु के समक्ष एक पात्र में यदि नारियल उपलब्ध हो तो रखना चाहिए । जप किए हुए मंत्र का पुण्य हाथ में जल लेकर अपनी कामना की सिद्धि के लिए हाथ से उस नारियल के उपर अर्पण कर देना चाहिए । बावन (५२) दिन पूरे होते ही वह नारियल को सूंघकर नदी, समुद्र या जलाशय में प्रवाहित कर देना चाहिए ।
बहनों को देश-काल परिस्थिति और समाज को लक्ष्य में रखते हुए मानसिक जप करके संख्या पूर्ण कर लेनी चाहिए । माला से भी जप हो सकते है । घड़ी में देखकर अंदाज़ा कर लेना चाहिए कि बावन माला कितने समय में पूरी होती है । उसके अनुसार अंदाज से जप संख्या पूरी की जा सकती है । जाप और ध्यान के दौरान जो कुछ भी अनुभूतियां हो उसका जवाब ध्यान में बैठने से अंदर ही अंदर मिलता रहता है । न मिले और समझ में न आए तो पत्र-व्यवहार के द्वारा अथवा रूबरू में मिलकर उत्तर प्राप्त कर सकते है ।
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MahaMantra Drashta P.P. Maharshi Punitachariji Maharaj
Hari Om Tatsat Jai Guru Datta
Mantra for mental peace