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प्रश्न (१२)

प्रश्न (१२) : माला का प्रयोग किए बिना क्या उंगली पर जाप की संख्या गिनी जा सकती हैं ?

प.पू. महर्षि पुनिताचारीजी महाराज:

माला के प्रयोग से जप की संख्या गिनना बहुत महत्वपूर्ण नहीं है । जप करने का मुख्य उद्देश्य घर्षण - विद्युत उत्पन्न करना और शरीर के अंदर टिकाए रखना है । मध्यमा उंगली के पर्व और माला के मनके के बीच के घर्षण से, घर्षण - विद्युत उत्पन्न होती है। जिसका एक सिरा उंगली के पर्व के पास तथा दूसरा सिरा माला के मनके के पास होता है । फिर मनकों की विद्युत गौमुखी में प्रवेश कर जाती है । इसलिए कहा जाता है कि - माला खुलें में नहीं रखनी चाहिए या गौमुखी को भी खुले में जमीन पर नहीं रखना चाहिए ।

एसा भी विधान है, कि हमारी जप की माला दूसरी व्यक्ति को जप करने के लिए नहीं देनी चाहिए । माला के बिना उंगली पर भी जप किया जा सकता है, लेकिन ज्यादा जप करना हो तो उंगली पर के जप गिनने में मुश्किल हो सकती है। बार-बार भूल भी हो सकती है । इसलिए माला से जप करना अति उत्तम माना जाता है । थोड़े-बहुत जप करने है तो उंगली पर किए जा सकते है । आखिरकार जब जाप अजपाजप में परिवर्तित हो जाते है, तब उंगली और मनका दोनों की जरूरत नहीं रहती है । वह जप सहज रूप से मन में चलते रहेते है । उसी को लोग अजपाजप कहते है। लेकिन जब तक यह स्थिति न आए तब तक मनकों के आधार पर जप करना चाहिए ।


~प.पू. महर्षि पुनिताचारीजी महाराज,
गिरनार साधना आश्रम, जूनागढ़

॥ हरि ॐ तत्सत् जय गुरुदत्त ॥
(प.पू. पुनिताचारीजी महाराज की ४५ साल की कठोर तपस्या के फल स्वरुप उन्हें भगवान दत्तात्रेय से साधको के आध्यात्मिक उथ्थान और मानसिक शांति के लिए प्राप्त महामंत्र)



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