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लक्ष्यप्राप्ति-स्वस्वरुप का ज्ञान

आत्मीयजनो,

जयगुरुदत्त

लक्ष्यप्राप्ति-स्वस्वरुप का ज्ञान उपदेश में सरल लगता है परन्तु अनुभूति में कठिन है। यह अक्षय ब्रह्मसंपत्ति कृपासाध्य है । सद्गुरु की उपासना ब्रह्म की है । अगर लक्ष्यप्राप्ति की तीव्र भूख हो तो सरल निर्मल बनकर आन्तरिक शुद्धप्रेम भाव से धैर्य के साथ साधना उपासना करो । अगर कृपा प्राप्त हो गई तो सब कुछ मिल गया समझ लो । किसी भी देव और किसी भी मंत्र में ब्रह्मतत्त्व ही है। इसको समझने के लिए समर्थ गुरु की आवश्यकता है। अक्षरदेव मंत्र स्वरुप आपको प्राप्त हो चुके है । साहस रखों, धैर्य रखो, आगे बढते चलो, मंजिल तय हो जायेगी । ब्रह्मज्ञान विवाद का विषय नही है, क्या है ? आप समझते हो । कैसे प्राप्त होगा ? यह भी जानते हो, फिर भी संकेत किया है । अन्तर्मुख होकर समझने की कोशिश करना ।


~प. पू. महर्षि पुनिताचारीजी महाराज,
गिरनार साधना आश्रम, जूनागढ़





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