आप सबको परम शांति मिले यही मेरा धर्म है
आप सबको परम शांति मिले यही मेरा धर्म है। मैं विश्व के सारे धर्म और संप्रदाय के महान पुरुषों से प्रार्थना करता हूं कि - आप सब गेबी महामंत्र "हरि ॐ तत्सत् जय गुरुदत्त" को सत्यापित करे। मैं कोई सिद्ध संत नहीं हूं। बल्कि सिध्धो की संतान हूं । एक छोटे बच्चे को कोई हीरा मिले तो उसके परिवार का भाग्य भी उससे जुड़ा होता है। बिन सांप्रदायिक "हरि ॐ तत्सत् जय गुरुदत्त" मंत्र की साधना से आपको आपके धर्म के अनुरूप ही अनुभूति होती हो तो आपके गुरुमंत्र - इष्टमंत्र के साथ इस सर्व सांप्रदायिक महामंत्र का जाप करने में क्या दिक्कत है ? नदी एक ही है घाट अलग-अलग है। पानी एक ही है, बर्तन अलग-अलग है । अरे ! सोना एक ही है, गहने अलग अलग है ।
एक सोनार का धंधा चल नहीं रहा था। बहुत ज्योतिष, भुवा, तांत्रिक के पास गया। धंधा कम हो गया था । परेशानियाँ बढ़ रही थी। संत पथदर्शक होते हैं। गुरुमहाराजने सलाह दी की - तेरे पास जो भी सोना है उसमें से तू भगवान श्री रामजी की मूर्तियां बना क्योंकि रामनवमी नजदीक आ रही है, वह मात्र सलाह नहीं थी । साथ में आशीर्वाद भी था इसलिए आधे से भी ज्यादा भगवान श्री रामजी की मूर्तियां बिक गई । सोनार खुश हो गया । गुरु महाराज ने कहा की जन्माष्टमी नजदीक आ रही है । तो श्री कृष्ण की मूर्तियां तैयार कर । सुनार ने श्री कृष्ण, गणपति, हनुमानजी, जगदंबा सबकी मूर्तियां बनाने लगा । ६-७ महीने में तो वह सुनार, सुनार बाजार में सोने की तरह चमकने लगा । उसने गुरुदेव को प्रणाम करते हुए कहा की - "आपकी कृपा से मुझे अद्भुत ज्ञान मिला, मेरा धंधा तो बहुत अच्छे से चलने लगा है , लेकिन साथ में यह भी समझ आ गया की - धर्म संप्रदाय के झगडे बेकार है, परमात्मा एक है और झगड़ने वाले हजार । मूल तत्त्व तो सोना है, वैसे ही मूल में तो गुरु तत्त्व ही है । गुरुदेव, आपकी जय जयकार हो।"
MahaMantra Dattatrey Punitachariji Dharma Sampraday Spontaneous Meditation