जीवन मुक्त ओर सहज अवस्था
प्रभु प्राप्ति के लिए, संपूर्ण सुख शांति के लिए, स्वरूपानुभुति के लिए प्रत्येक मनुष्य अपनी-अपनी रीत से प्रयास करते है । कोई सुंदर से सुंदर मूर्ति बनाकर, श्रृंगार कर के, सजा के, घर में रखकर शक्ति अनुसार पूजा-पाठ करके आनंद मनाते है और वे समझते है कि - मैं जैसे भजन-पूजन करता हूँ वह सही है और ईश्वर अवश्य ख़ुश है, इसी तरह कोई पैदल चल कर यात्रा करके प्रभु भक्ति कर, पैदल यात्रा को तपस्या समझकर ईश्वरको खुश करने का प्रयास करते है । कोई गीता, रामायण,भागवत् या अन्य धार्मिक ग्रंथ का पठन करता है । कोई जप और यज्ञ दोनों करते है । कोई ध्यान योग से प्रभुको पाने का प्रयत्न करते है । संक्षिप्त में, समस्त मानव अपने-अपने तरीके से भजन, साधना, सेवा, होम, जप, योग कर के आत्म संतोष के साथ प्रभु के पास पहुँचने का प्रयास करते है । लेकिन उपरोक्त सभी प्रकार के साधकों में से जो उच्च कक्षा में पहुँचते है उन सभी का कहना है कि - मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयो:। अर्थात् - "मन ही मुक्ति ओर बंधन का कारण है।" सभी प्रकार की साधना में बहार भटकते मन को भगवान में या स्व में स्थिर करना रहेता है और जब जिस पल मन सभी भागदौड़ छोड़कर स्व केन्द्रित बनता है तब मानवी संतुष्ट होता है कि - आज सब ठीक रहा । इसलिए महान पुरुष बोलते है कि - सदा सोऽहं की ओर दृष्टि रखो । जब-जब आप अपने कर्मयोग से फ्री हो तब अपनी ओर दृष्टि रखकर सोऽहंमयी मस्ती में डूबे रहो ओर निरंतर ख्याल रखो कि - आप नाम, रुप, रंग, जाति, वर्ण, संप्रदाय इन सब से आगे मन- चित्त-बुद्धि से पर शुद्ध- बुद्ध आत्मा हो । इस भू-मंडल पर प्रारब्ध अनुसार कर्मयोग में जुड़े हुए हो । सावधान रह कर शुभ ओर योग्य कर्म करना । कर्म करते समय या बाद में ऐसा ही मानना कि - कर्ता हर्ता परमात्मा है। मैं कैवल साक्षी भाव से निमित्त मात्र हूँ । इस तरह ध्यान रखकर जो कर्म किया जाता है उसमें कर्म बंधन नहीं होता । इससे संचित और प्रारब्ध दोनों मिट जाते है । मतलब कि - नया प्रारब्ध नहीं बनता, यही जीवन मुक्त और सहज अवस्था है। कृपा साध्य जरूर है लेकिन साथ-साथ अपनी निष्ठा पूर्वक तैयारी भी जरूरी है । इस तरह जो साधक सहज में रहेता है वह महान है । यह स्थिति और ऐसे सुंदर विचार सदगुरु कृपा बिना नहीं आते है इसलिए सदगुरु दत्तात्रेय के ओर मेरा अंगुली निर्देश रहता है । उनको साथ में रखकर चलोगे तो सदा कल्याण होगा । यह सद् बोध संतों के आशीर्वाद से मिला है, वह आप सबको सुनाकर आंनद की अनुभूति कर रहा हूँ ।
"जो साधक सहज में रहेता है वह महान है । यह स्थिति और ऐसे सुंदर विचार सदगुरु कृपा बिना नहीं आते है इसलिए सदगुरु दत्तात्रेय के ओर मेरा अंगुली निर्देश रहता है । उनको साथ में रखकर चलोगे तो सदा कल्याण होगा । "
~(प.पू. महर्षि पुनिताचारीजी महाराज)
Sahaj Avastha
Mukti
puja path jap yagy seva hom yog
MahaMantra Drashta P.P. Maharshi Punitachariji Maharaj
Hari Om Tatsat Jai Guru Datta
Mantra for mental peace